मंगलवार, 30 जुलाई 2013

और नहीं और नहीं अब और देश का सौदा और नहीं.

और नहीं और नहीं अब और देश का सौदा और नहीं. भ्रष्ट व्यवस्था, भ्रष्ट है सरकार यहाँ जनता के भावनाओं का हो रहा बलात्कार यहाँ. लूटने की लगी है होड़ यहाँ कोई न करना शोर यहाँ. दंगे है किसने कराये बस ये याद रखना, किसने किसो छला यहाँ ये न याद रखना. भूल जाओ घोटाले,भ्रष्टाचार, महंगाई को बस याद रखो उस दंगाई को. मंदिर-मस्जिद याद रखो, क्या रखा है इन घोटालों में. हिन्दू मुस्लिम याद रखो क्या रखा है महंगाई में.
हे देश के वीर जवानों उठो और आगे बढ़ो. भारत माँ है पुकार है रही. देश की अस्मिता हो रही है जार जार, भारत माँ है पुकार रही बार-बार. सत्ता को लो अपने हाथो में, न आओ इनकी बातो में. इनको है अपने वोट से मतलब, देश की कहाँ परवाह इन्हें. इन्हें तो है सिर्फ नोट से मतलब. मच रही घमासान इस देश में फिर आ पहुंचा रावन साधू के वेश में. हरने आया माँ की अस्मिता, जनता है पसोपेश में. फिर से भारत माँ है पुकार रही, जनता त्राहि माम्-त्राहि माम् चिल्ला रही. देश में दु:शासन कर रहा है चीरहरण, उखाड़ दो इनके हाथ फिर न कर पाए चीरहरण. अंधे धृतराष्ट्र है मंद-मंद मुस्कुरा रहा, शकुनि अपनी कुटिल चाल है चल रहा. जयचंदों ने फिर से देश को बेचा है, जिसको देश के सपूतो ने अपने खून से सींचा है.